YOGA ASANAS IN HINDI - BENIFIT OF YOGA AND YOGA POSES IN HINDI
योग क्या है? YOGA KYA HAI IN HINDI
[caption id="attachment_187" align="alignnone" width="545"]
CREDITED BY GOOGLE[/caption]
योग एक पूर्ण विज्ञान हैI यह शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट करती हैIयह हर व्यक्ति को शांति और आनंद प्रदान करता हैI यह एक व्यक्ति के व्यवहार, विचारों और रवैये में भी महत्वपूर्णपरिवर्तन लाता है। योग के दैनिक अभ्यास से हमारी अंतः शांति, संवेदनशीलता, अंतर्ज्ञान और जागरूकता बढ़ती है।
योगासन क्या है? | What іѕ уоgа аѕаnаѕ?
[caption id="attachment_188" align="alignnone" width="672"]
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हमारा मन एक लोलक की तरह है; जो की भूत से भविष्य, अफसोस और गुस्से से चिंता, एवम् डर और ख़ुशी से दुख के बीच में झूलते रहता हैI योग आसन हमें जीवन में समता बनाए रखने में सक्षमबनाते है। योग आसन मात्र कसरत या अभ्यास नहीं है!
जैसे पतंजलि के योग सूत्र में वर्णित है - "स्थिरम सुख़म आसनम" का अर्थ है की योगासन प्रयास और विश्राम का संतुलन है I हम आसन में आने के लिए प्रयास करते हैं और फिर हम वहीं विश्रामकरते हैं। योगासन हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन लाती है। यह हमें प्रयास करने के लिए सिखाता है और फिर समर्पण, परिणाम से मुक्त होने का ज्ञान देता है। योगासन हमारे शारीरिकलचीलेपन को बढ़ाता है और हमारे विचारों को विकसित करता है।
योगासन साँसों के लय एवम् सजगता के साथ किया जाना चाहिए। जब हम अपने हाथों को योग के लिए उठाते हैं, तो पहले हम अपने हाथ के प्रति सजग होते हैं और फिर हम इसे धीरे-धीरे उठाते हैं, साँस के साथ लय में करते हैं। योगासन के एक मुद्रा से दुसरे मुद्रा में जाना एक नृत्य की तरह सुंदर है। प्रत्येक आसन में हम जो कुछ भी सहजता से कर सकते है, उससे थोड़ा ज्यादा करें और फिरउसी में आराम से विश्राम करे यही योगाभ्यास की कुंजी है । शरीर को अपनी स्वीकार्य सीमा से परे ले जाने पर ये आसन हमारे मन का विकास करतें हैं।
महर्षि पतंजलि द्वारा एक और योग सूत्र है, "प्रयत्न शैथिल्यानन्त समापत्तिभ्याम्" – जो की फिर से एक ही दर्शन को दोहराता है। प्रयास करें और समर्पित करें और ऐसा करने से हमारी जागरूकताअनन्तः को प्राप्त करती है, हमारी जागरूकता का विकास होता हैI
क्या योग करना आसान है? Is yoga easy?
[caption id="attachment_190" align="alignnone" width="674"]
CREDITED BY GOOGLE[/caption]
योगाभ्यास की शुरुवात हमेशा कुछ आसान Yoga Poses से करना चाहिए क्योंकि पहले बार इसे करने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है। अगर आप योग करने की शुरुवात करने जा रहे हैं तो नीचे दिए हुए योग मुद्राओं का अभ्यास कर सकते हैं तो बहुत ही आसान हैं और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं।
आज हम आप शुरुवात के लिए 12 आसान योगासन (Types of Yoga Asanas Poses for Beginners Hindi) तो बताएँगे साथ ही उससे मिलने वाले Health Benefits के बारे में भी बताएँगे। तो चलिए जानते हैं वो बेहतरीन शुरुवात के लिए योग मुद्राएँ क्या हैं?
Benifit of yoga
[caption id="attachment_191" align="alignnone" width="526"]
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मांसपेशियों में मजबूती आती है।
साइनस की समस्या दूर होती है।
शरीर को अच्छा खिचाव मिलता है।
रक्त परिसंचरण में सुधार आता है।
पैरों का दर्द, पसीना आना दूर होता है।
पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है.. ध्यान हेतु बढ़िया आसन है।अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र वृद्धि में विशेष लाभप्रद है।
धातुरोग, बहुमूत्र एवं स्त्री रोगों में लाभकारी है।
यकृत, गुर्दे एवं वक्ष स्थल को बल देता है। संधिवात, गाठिया को दूर करता है।
मांसपेशियो में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वे स्वस्थ होती है.
मूलबंध को स्वाभाविक रूप से लगाने और ब्रम्हचर्य कायम रखने में यह आसन सहायक है।
इन्द्रियों की चंचलता समाप्त कर मन में शांति प्रदान करता है. इसीलिए इसका नाम गोरक्षासन है।
YOGA POSES AND YOGA POSES LIST IN HINDI
[caption id="attachment_192" align="alignnone" width="614"]
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कोनासन (Konasana) कोनासन
कोनासन २ (Konasana 2) कोनासन २
कटिचक्रासन (Katichakrasana) कटिचक्रासन
हस्तपादासन (Hastapadasana) हस्तपादासन
अर्ध चक्रासन (Ardha Chakrasana) अर्ध चक्रासन
त्रिकोणासन (Trikonasana) त्रिकोणासन
वीरभद्रासन (Veerabhadrasana) वीरभद्रासना / वीरभद्रासन
पसारिता पादोत्तनासन (Parsarita Padotanasana पसारिता पादोत्तनासन
वृक्षासन (Vrikshasana) वृक्षासन
पश्चिम नमस्कार (Paschim Namaskarasana) पश्चिम नमस्कार
गरुड़ासन (Garudasana) गरुड़ासन
कुर्सी आसन (Chair Pose - Utkatasana) उत्कटासन
जानु शीर्षासन (Janu Shirasasana) जानु शीर्षासन
पश्चिमोत्तासन (Paschimottanasana) पश्चिमोत्तासन
पूर्वत्तनासन (Poorvottanasana) पूर्वत्तनासन
वसिष्ठासन (Vasisthasana) वसिष्ठासन
अधो मुख श्वानासन (Adho Mukh swanasana) अधो मुख श्वानासन
मकर अधो मुख श्वानासन (Makara Adho Mukha Svanasana) मकर अधो मुख श्वानासन
अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana) अर्ध मत्स्येन्द्रासन
तितली आसन (Butterfly - Badhakonasana) बद्धकोणासन
कमल आसन (Lotus pose - Padmasana) पद्मासना
एक पाद राज कपोटासन (Ek Pada Raja Kapotasana) एक पाद राज कपोटासन
मार्जरी आसान (Marjariasana) मार्जरी आसान
उष्ट्रासन (Ustrasana) उष्ट्रासन
शिशु आसन (Shishuasana) शिशु आसन
चक्की मंथन आसन (Chakki Chalanasana) चक्की चलानासन
धनुरासन (Dhanurasana) धनुरासन
भुजंगासन (Bhujangasana) भुजंगासन
सलम्बा भुजंगासन (Salamba Bhujangasana) सलम्बा भुजंगासन
विपरीत शलभासन (Viparita Shalbhasana) विपरीत शलभासन
शलभासन (Shalabasana) शलभासन
नौकासन (Naukasana) नौकासन
सेतु बंधासन (Setu Bandhasana) सेतु बंधासन
मत्स्यासन (Matsyasana) मत्स्यासन
पवनमुक्तासन (Pavanamuktasana) पवनमुक्तासन
सर्वांगासन (Sarvangasana) सर्वांगासन
हलासन (Halasana) हलासन
नटराजासन (Natrajasana) नटराजासन
विष्णुआसन (Vishnuasana) विष्णुआसन
शवासन (Shavasana) शवासन
Major Types of Yogasana in Hindi
स्वस्तिकासन / Swastikasana
[caption id="attachment_193" align="alignnone" width="607"]
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स्थिति:- स्वच्छ कम्बल या कपडे पर पैर फैलाकर बैठें।
विधि:- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली (calf, घुटने के नीचे का हिस्सा) और के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाये उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ (spine) सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें।इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें।
गोमुखासन /Gomukhasana
[caption id="attachment_194" align="alignnone" width="520"]
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विधि:-
दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब (buttocks) के पास रखें।
दायें पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएँ।
गोरक्षासन / Gorakhshasana
[caption id="attachment_195" align="alignnone" width="673"]
CREDITEDD BY GOOGLE[/caption]
विधि:-
दोनों पैरों की एडी तथा पंजे आपस में मिलाकर सामने रखिये।
अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं मूत्रेन्द्रिय के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठ जाइए। दोनों घुटने भूमि पर टिके हुए हों।
हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें।
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन/Ardha Matsyendrasana
[caption id="attachment_196" align="alignnone" width="618"]
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विधि:-
दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बाएं पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब के पास लगाएं।
बाएं पैर को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की ओ़र भूमि पर रखें।
बाएं हाथ को दायें घुटने के समीप बाहर की ओ़र सीधा रखते हुए दायें पैर के पंजे को पकडें।
दायें हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओ़र देखें।
इसी प्रकार दूसरी ओ़र से इस आसन को करें।
योगमुद्रासन/Yoga Mudrasana
[caption id="attachment_197" align="alignnone" width="558"]
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स्थिति-भूमि पर पैर सामने फैलाकर बैठ जाइए.
विधि-
बाएं पैर को उठाकर दायीं जांघ पर इस प्रकार लगाइए की बाएं पैर की एडी नाभि केनीचे आये।
दायें पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बाएं पैर की एडी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए।
दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकडें. फिर श्वास छोड़ते हुए।
सामने की ओ़र झुकते हुए नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें. हाथ बदलकर क्रिया करें।
पुनः पैर बदलकर पुनरावृत्ति करें।
उदाराकर्षण या शंखासन
स्थिति:- काग आसन में बैठ जाइए।
विधि:-
हाथों को घुटनों पर रखते हुए पंजों के बल उकड़ू (कागासन) बैठ जाइए। पैरों में लगभग एक सवा फूट का अंतर होना चाहिए।
श्वास अंदर भरते हुए दायें घुटने को बाएं पैर के पंजे के पास टिकाइए तथा बाएं घुटने को दायीं तरफ झुकाइए।
गर्दन को बाईं ओ़र से पीछे की ओ़र घुमाइए व पीछे देखिये।
थोड़े समय रुकने के पश्चात श्वास छोड़ते हुए बीच में आ जाइये. इसी प्रकार दूसरी ओ़र से करें।
सर्वांगासन
[caption id="attachment_198" align="alignnone" width="551"]
CREDITED BY GOOGLE[/caption]
स्थिति:- दरी या कम्बल बिछाकर पीठके बल लेट जाइए.
विधि:-
दोनों पैरों को धीरे – धीरे उठाकर 90 अंश तक लाएं. बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएँ की वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए।
पीठ को हाथों का सहारा दें .. हाथों के सहारे से पीठ को दबाएँ . कंठ से ठुड्ठी लगाकर यथाशक्ति करें।
फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को जमीन से टिकाएं फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम/Anulom Vilom Pranayam
[caption id="attachment_199" align="alignnone" width="609"]
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विधि:-
ध्यान के आसान में बैठें।
बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।
पुनः दायीं नाशिका से श्वास खीचें।
लाभ:-
शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं।
शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है।
भूख बढती है।
रक्त शुद्ध होता है।
सावधानी:-
श्वास की गति सहज ही रहे।
कुम्भक को अधिक समय तक न करें।
कपालभाति प्राणायाम/Kapalbhati Pranayam
[caption id="attachment_200" align="alignnone" width="555"]
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विधि:-
इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें।
लाभ:-
कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।
मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है।
यह पोस्ट मात्र जानकारी के लिए है। इनमें से किसी भी योगासन को शुरू करने से पहले अपने Yoga Expert से जरूर पूछें। आशा करते हैं
TAG:- yoga asanas in hindi ,
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योग एक पूर्ण विज्ञान हैI यह शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट करती हैIयह हर व्यक्ति को शांति और आनंद प्रदान करता हैI यह एक व्यक्ति के व्यवहार, विचारों और रवैये में भी महत्वपूर्णपरिवर्तन लाता है। योग के दैनिक अभ्यास से हमारी अंतः शांति, संवेदनशीलता, अंतर्ज्ञान और जागरूकता बढ़ती है।
योगासन क्या है? | What іѕ уоgа аѕаnаѕ?
[caption id="attachment_188" align="alignnone" width="672"]

हमारा मन एक लोलक की तरह है; जो की भूत से भविष्य, अफसोस और गुस्से से चिंता, एवम् डर और ख़ुशी से दुख के बीच में झूलते रहता हैI योग आसन हमें जीवन में समता बनाए रखने में सक्षमबनाते है। योग आसन मात्र कसरत या अभ्यास नहीं है!
जैसे पतंजलि के योग सूत्र में वर्णित है - "स्थिरम सुख़म आसनम" का अर्थ है की योगासन प्रयास और विश्राम का संतुलन है I हम आसन में आने के लिए प्रयास करते हैं और फिर हम वहीं विश्रामकरते हैं। योगासन हमारे जीवन के हर पहलू में संतुलन लाती है। यह हमें प्रयास करने के लिए सिखाता है और फिर समर्पण, परिणाम से मुक्त होने का ज्ञान देता है। योगासन हमारे शारीरिकलचीलेपन को बढ़ाता है और हमारे विचारों को विकसित करता है।
योगासन साँसों के लय एवम् सजगता के साथ किया जाना चाहिए। जब हम अपने हाथों को योग के लिए उठाते हैं, तो पहले हम अपने हाथ के प्रति सजग होते हैं और फिर हम इसे धीरे-धीरे उठाते हैं, साँस के साथ लय में करते हैं। योगासन के एक मुद्रा से दुसरे मुद्रा में जाना एक नृत्य की तरह सुंदर है। प्रत्येक आसन में हम जो कुछ भी सहजता से कर सकते है, उससे थोड़ा ज्यादा करें और फिरउसी में आराम से विश्राम करे यही योगाभ्यास की कुंजी है । शरीर को अपनी स्वीकार्य सीमा से परे ले जाने पर ये आसन हमारे मन का विकास करतें हैं।
महर्षि पतंजलि द्वारा एक और योग सूत्र है, "प्रयत्न शैथिल्यानन्त समापत्तिभ्याम्" – जो की फिर से एक ही दर्शन को दोहराता है। प्रयास करें और समर्पित करें और ऐसा करने से हमारी जागरूकताअनन्तः को प्राप्त करती है, हमारी जागरूकता का विकास होता हैI
क्या योग करना आसान है? Is yoga easy?
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योगाभ्यास की शुरुवात हमेशा कुछ आसान Yoga Poses से करना चाहिए क्योंकि पहले बार इसे करने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है। अगर आप योग करने की शुरुवात करने जा रहे हैं तो नीचे दिए हुए योग मुद्राओं का अभ्यास कर सकते हैं तो बहुत ही आसान हैं और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक हैं।
आज हम आप शुरुवात के लिए 12 आसान योगासन (Types of Yoga Asanas Poses for Beginners Hindi) तो बताएँगे साथ ही उससे मिलने वाले Health Benefits के बारे में भी बताएँगे। तो चलिए जानते हैं वो बेहतरीन शुरुवात के लिए योग मुद्राएँ क्या हैं?
Benifit of yoga
[caption id="attachment_191" align="alignnone" width="526"]

मांसपेशियों में मजबूती आती है।
साइनस की समस्या दूर होती है।
शरीर को अच्छा खिचाव मिलता है।
रक्त परिसंचरण में सुधार आता है।
पैरों का दर्द, पसीना आना दूर होता है।
पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है.. ध्यान हेतु बढ़िया आसन है।अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र वृद्धि में विशेष लाभप्रद है।
धातुरोग, बहुमूत्र एवं स्त्री रोगों में लाभकारी है।
यकृत, गुर्दे एवं वक्ष स्थल को बल देता है। संधिवात, गाठिया को दूर करता है।
मांसपेशियो में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वे स्वस्थ होती है.
मूलबंध को स्वाभाविक रूप से लगाने और ब्रम्हचर्य कायम रखने में यह आसन सहायक है।
इन्द्रियों की चंचलता समाप्त कर मन में शांति प्रदान करता है. इसीलिए इसका नाम गोरक्षासन है।
YOGA POSES AND YOGA POSES LIST IN HINDI
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कोनासन (Konasana) कोनासन
कोनासन २ (Konasana 2) कोनासन २
कटिचक्रासन (Katichakrasana) कटिचक्रासन
हस्तपादासन (Hastapadasana) हस्तपादासन
अर्ध चक्रासन (Ardha Chakrasana) अर्ध चक्रासन
त्रिकोणासन (Trikonasana) त्रिकोणासन
वीरभद्रासन (Veerabhadrasana) वीरभद्रासना / वीरभद्रासन
पसारिता पादोत्तनासन (Parsarita Padotanasana पसारिता पादोत्तनासन
वृक्षासन (Vrikshasana) वृक्षासन
पश्चिम नमस्कार (Paschim Namaskarasana) पश्चिम नमस्कार
गरुड़ासन (Garudasana) गरुड़ासन
कुर्सी आसन (Chair Pose - Utkatasana) उत्कटासन
जानु शीर्षासन (Janu Shirasasana) जानु शीर्षासन
पश्चिमोत्तासन (Paschimottanasana) पश्चिमोत्तासन
पूर्वत्तनासन (Poorvottanasana) पूर्वत्तनासन
वसिष्ठासन (Vasisthasana) वसिष्ठासन
अधो मुख श्वानासन (Adho Mukh swanasana) अधो मुख श्वानासन
मकर अधो मुख श्वानासन (Makara Adho Mukha Svanasana) मकर अधो मुख श्वानासन
अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana) अर्ध मत्स्येन्द्रासन
तितली आसन (Butterfly - Badhakonasana) बद्धकोणासन
कमल आसन (Lotus pose - Padmasana) पद्मासना
एक पाद राज कपोटासन (Ek Pada Raja Kapotasana) एक पाद राज कपोटासन
मार्जरी आसान (Marjariasana) मार्जरी आसान
उष्ट्रासन (Ustrasana) उष्ट्रासन
शिशु आसन (Shishuasana) शिशु आसन
चक्की मंथन आसन (Chakki Chalanasana) चक्की चलानासन
धनुरासन (Dhanurasana) धनुरासन
भुजंगासन (Bhujangasana) भुजंगासन
सलम्बा भुजंगासन (Salamba Bhujangasana) सलम्बा भुजंगासन
विपरीत शलभासन (Viparita Shalbhasana) विपरीत शलभासन
शलभासन (Shalabasana) शलभासन
नौकासन (Naukasana) नौकासन
सेतु बंधासन (Setu Bandhasana) सेतु बंधासन
मत्स्यासन (Matsyasana) मत्स्यासन
पवनमुक्तासन (Pavanamuktasana) पवनमुक्तासन
सर्वांगासन (Sarvangasana) सर्वांगासन
हलासन (Halasana) हलासन
नटराजासन (Natrajasana) नटराजासन
विष्णुआसन (Vishnuasana) विष्णुआसन
शवासन (Shavasana) शवासन
Major Types of Yogasana in Hindi
स्वस्तिकासन / Swastikasana
[caption id="attachment_193" align="alignnone" width="607"]

स्थिति:- स्वच्छ कम्बल या कपडे पर पैर फैलाकर बैठें।
विधि:- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली (calf, घुटने के नीचे का हिस्सा) और के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाये उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ (spine) सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें।इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें।
गोमुखासन /Gomukhasana
[caption id="attachment_194" align="alignnone" width="520"]

विधि:-
दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब (buttocks) के पास रखें।
दायें पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएँ।
गोरक्षासन / Gorakhshasana
[caption id="attachment_195" align="alignnone" width="673"]

विधि:-
दोनों पैरों की एडी तथा पंजे आपस में मिलाकर सामने रखिये।
अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं मूत्रेन्द्रिय के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठ जाइए। दोनों घुटने भूमि पर टिके हुए हों।
हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें।
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन/Ardha Matsyendrasana
[caption id="attachment_196" align="alignnone" width="618"]

विधि:-
दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बाएं पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब के पास लगाएं।
बाएं पैर को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की ओ़र भूमि पर रखें।
बाएं हाथ को दायें घुटने के समीप बाहर की ओ़र सीधा रखते हुए दायें पैर के पंजे को पकडें।
दायें हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओ़र देखें।
इसी प्रकार दूसरी ओ़र से इस आसन को करें।
योगमुद्रासन/Yoga Mudrasana
[caption id="attachment_197" align="alignnone" width="558"]

स्थिति-भूमि पर पैर सामने फैलाकर बैठ जाइए.
विधि-
बाएं पैर को उठाकर दायीं जांघ पर इस प्रकार लगाइए की बाएं पैर की एडी नाभि केनीचे आये।
दायें पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बाएं पैर की एडी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए।
दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकडें. फिर श्वास छोड़ते हुए।
सामने की ओ़र झुकते हुए नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें. हाथ बदलकर क्रिया करें।
पुनः पैर बदलकर पुनरावृत्ति करें।
उदाराकर्षण या शंखासन
स्थिति:- काग आसन में बैठ जाइए।
विधि:-
हाथों को घुटनों पर रखते हुए पंजों के बल उकड़ू (कागासन) बैठ जाइए। पैरों में लगभग एक सवा फूट का अंतर होना चाहिए।
श्वास अंदर भरते हुए दायें घुटने को बाएं पैर के पंजे के पास टिकाइए तथा बाएं घुटने को दायीं तरफ झुकाइए।
गर्दन को बाईं ओ़र से पीछे की ओ़र घुमाइए व पीछे देखिये।
थोड़े समय रुकने के पश्चात श्वास छोड़ते हुए बीच में आ जाइये. इसी प्रकार दूसरी ओ़र से करें।
सर्वांगासन
[caption id="attachment_198" align="alignnone" width="551"]

स्थिति:- दरी या कम्बल बिछाकर पीठके बल लेट जाइए.
विधि:-
दोनों पैरों को धीरे – धीरे उठाकर 90 अंश तक लाएं. बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएँ की वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए।
पीठ को हाथों का सहारा दें .. हाथों के सहारे से पीठ को दबाएँ . कंठ से ठुड्ठी लगाकर यथाशक्ति करें।
फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को जमीन से टिकाएं फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम/Anulom Vilom Pranayam
[caption id="attachment_199" align="alignnone" width="609"]

विधि:-
ध्यान के आसान में बैठें।
बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।
पुनः दायीं नाशिका से श्वास खीचें।
लाभ:-
शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं।
शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है।
भूख बढती है।
रक्त शुद्ध होता है।
सावधानी:-
श्वास की गति सहज ही रहे।
कुम्भक को अधिक समय तक न करें।
कपालभाति प्राणायाम/Kapalbhati Pranayam
[caption id="attachment_200" align="alignnone" width="555"]

विधि:-
इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें।
लाभ:-
कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।
मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है।
यह पोस्ट मात्र जानकारी के लिए है। इनमें से किसी भी योगासन को शुरू करने से पहले अपने Yoga Expert से जरूर पूछें। आशा करते हैं
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Nice Blog, thank you.
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